मुझको उसके प्यार का ऐसा नशा चढ़ा उनके पीछे अपना सब कुछ लुटा दिया धीरे-धीरे जब कंगाल हो गया भिखारी बोलकर वह बेवफा हुई
ठुकरा दिया मेरी मोहब्बत को अपनी खताओं पर रोकर गड़ गिड़ाते हुए मैंने माफी मांगी तो थी वह कठोर इतनी थी कि शायद माफ कर नहीं सकती खुद को समझाते हुए आजकल खुद ही आंसू पोंछ लेते हैं